आज ही दिन हुआ था शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक, जानिए क्यों माना जाता है अहम
आज ही दिन हुआ था शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक, जानिए क्यों माना जाता है अहम
भारतीय इतिहास (Indian History) में छत्रपति शिवाजी (Shivaji) महाराज की अपने समय में अहम भूमिका थी. उनका राज्याभिषेक (Coronation) सामान्य हालात में नहीं हुआ था.
शिवाजी (Shivaji) को विशेष उद्देश्य के लिए अपने राज्याभिषेक का भव्य आयोजन करवाना पड़ा. (फाइल फोटो)
- NEWS18HINDI
- LAST UPDATED: JUNE 6, 2021, 6:40 AM IST
छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapti Shivaji Maharaj) का भारत के इतिहास (Indian History) में बहुत अहम योगदान है. शायद यही वजह है कि उनके राज्याभिषेक का दिन महाराष्ट्र में ही नहीं बल्कि पूरे दिश में याद किया जाता है. आज से 347 साल पहले 6 जून 1674 को उनका राज्याभिषेक हुआ था. इस राज्याभिषेक से संबंधित ऐसी बहुत सी बातें जुड़ी हुई हैं जो भारत और महाराष्ट्र के समकालीन इतिहास की परिस्थितियों का दिलचस्प हाल बयान करती हैं.
राज्याभिषेक से पहले
शिवाजी महाराज ने शक्तिशाली मुगलों को हराकर मराठा साम्राज्य की स्थापना की थी और देश के सर्वश्रेष्ठ योद्धाओं में से एक थे. 1674 से पहले शिवाजी सिर्फ स्वतंत्र शासक थे. उनका राज्याभिषेक नहीं हुआ था यहां तक कि वे आधिकारिक तौर पर साम्राज्य के शासक नहीं थे. कई लड़ाइयां जीतने के बावजूद उन्हें एक राजा के तौर पर स्वीकार नहीं किया गया था.
शुरू से विजयी रहे शिवाजी
दरअसल अगर हम शिवाजी महाराज की जीवन का अध्ययन करें तो पाते हैं कि उनकी अधिकांश बड़ी उपलब्धियां उनके राज्याभिषेक से पहले की हैं. साल 1930 को पैदा हुआ शिवाजी कम उम्र में ही टोरना किले पर कब्जा कर अपना अभियान शुरू किया था और फिर कई इलाकों को मुगलों से छीन लिया. 1659 में आदिल शाह की सेना के साथ प्रतापगढ़ किले पर शिवाजी का युद्ध हुआ जिसमें विजयी हुए.
औरंगजेब की कैद
प्रतापगढ़ क विजय के बाद शिवाजी को मुगलों से पुरंदर की संधि करनी पड़ी जिसके तहत उन्हें अपने जीते हुए बहुत से इलाके मुगलों को लौटाने पड़े. इसके बाद वे 1966 में औरंगजेब से मिलने आगरा पहुंचे जहां उन्हें उनके पुत्र संभाजी के साथ बंदी बना लिया गया. शिवाजी ज्यादा दिन औरंगजेब की कैद में ना रह सके और 13 अगस्त 1666 को फलों की टोकरी में छिपकर फरार हो गए और रायगढ़ पहुंचे.
शिवाजी (Shivaji) राज्याभिषेक से पहले ही अपने जीवन की बड़ी उपलब्धियां हासिल कर ली थीं. (फाइल फोटो)
राज्याभिषेक की जरूरत
इस घटना के बाद 1674 तक शिवाजी ने उन सभी इलाकों को फिर से अपने अधिकार में ले लिया जो उन्होंने पुरंदर की संधि में गंवाए थे. लेकिन उन्हें मराठाओं से वह समर्थन और एकता नहीं मिली जिसकी उन्हें जरूरत थी. उन्हें महसूस हुआ कि राज्य को संगठित कर शक्तिशाली बनने के लिए उन्हें पूर्ण शासक बनना होगा और इसके लिए बड़े आयोजन के साथ राज्याभिषेक होना बहुत जरूरी है. अपने विश्वस्तजनों से सलाह लेने के बाद उन्होंने राज्याभिषेक करवाने का फैसला लिया.
World Environment Day 2021: जानिए क्या है इकोसिस्टम की बहाली, कितनी अहम है ये
जाति की समस्या
उस दौर में कई मराठा सामंत ऐसे थे, जो शिवाजी को राजा मानने को तैयार नहीं थे. इन्हीं सब चुनौतियों पर काबू पाने के लिए उन्होंने राज्याभिषेक की करवाने का फैसला लिया और इस आयोजन की कई महीने पहले से तैयारी शुरू कर दी थी. उस समय का रूढ़िवादी ब्राह्मण शिवाजी को राजा मानने के लिए राजी नहीं थे. उनके अनुसार क्षत्रिय जाति से ही कोई राजा बन सकता था.
राज्याभिषेक के लिए शिवाजी (Shivaji) महाराज को रूढ़िवादी ब्राह्मणों का विरोध झेलना पड़ा था. (फाइल फोटो)
विशाल राज्याभिषेक
शिवाजी भोंसले समुदाय से आते थे जिन्हें ब्राह्मण क्षत्रिय नहीं मानते थे, जबकि भोंसले दावा करते हैं कि वे सिसोदिया परिवार के वंशज हैं. शिवाजी ने इसका भी हल निकाला और उत्तर भारत में काशी के गागा भट्ट के परिवार से इसकी पुष्टि करवाई जिन्होंने मराठवाड़ा के ब्राह्मणों को राज्याभिषेक के लिए मनाया. कहा जाता है कि इस समारोह में 50 हज़ार से ज़्यादा लोग शामिल हुए थे. राज्याभिषेक में शामिल हुए लोगों ने 4 महीने शिवाजी के आथित्य में बिताए. पंडित गागा भट्ट को लाने के लिए काशी विशेष दूत भेजे गए.
जानिए क्यों कहते हैं महाराणा प्रताप को देश का ‘पहला स्वतंत्रता सेनानी’
इसके बाद पूरे रीति रिवाज और धूमधाम से शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक समारोह संपन्न हुआ जिसे आज भी महाराष्ट्र में एक उत्सव की तरह मनाया जाता है. हर साल रायगढ़ में यह समारोह विशेष तौर पर मनाया जाता है. इस राज्याभिषेक के बाद ही शिवाजी महाराज को छत्रपति कहा जाने लगा
Comments
Post a Comment